लालू प्रसाद यादव भारत के प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ एवं बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री हैं। लालू प्रसाद यादव भारत के सफल रेलमन्त्रियों में गिने जाते हैं। लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले के आरोप में 3 अक्टूबर 2013 को रांची स्थित सीबीआई के विशेष अदालत ने 5 साल की सजा और 25 लाख का जुर्माने की सजा सुना दिया। कोर्ट ने लालू प्रसाद को चाईबासा कोषागार से 37 करोड़ 68 लाख रूपए को गबन करने का आरोप में दोषी पाया था।
जीवन परिचय :
इनका जन्म 11 जून 1947 को बिहार राज्य के गोपालगंज जिले के फूलवरिया गांव में यादव परिवार में हुआ। इन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गोपालगंज से प्राप्त की तथा कॉलेज की पढ़ाई के लिए वे पटना चले आए। पटना के बीएन कॉलेज से इन्होंने लॉ में स्नातक तथा राजनीति शास्त्र में स्नातकोत्तर की पढ़ाई पूरी की।

लालू प्रसाद ने कॉलेज से ही अपनी राजनीति की शुरुआत छात्र नेता के रूप में की। इसी दौरान वे जयप्रकाश नारायण द्वारा चलाए जा रहे आंदोलन का हिस्सा बन गए और जयप्रकाश नारायण, राजनारायण, कर्पुरी ठाकुर तथा सतेन्द्र नारायण सिन्हा जैसे राजनेताओं से मिलकर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। 29 वर्ष की आयु में ही वे जनता पार्टी की ओर से 6ठी लोकसभा के लिए चुन लिए गए। 1 जून 1973 को इनकी शादी राबड़ी देवी हुई। लालू प्रसाद की कुल 7 बेटियां और 2 बेटे हैं जिनमें से सभी बेटियों की शादी हो चुकी है।
लालू प्रसाद 10 मार्च 1990 को पहली बार बिहार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तथा दूसरी बार 1995 में मुख्यमंत्री बने। 1997 में लालू प्रसाद जनता दल से अलग होकर राष्ट्रीय जनता दल पार्टी बनाकर उसके अध्यक्ष बने। 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में ये बिहार के छपरा संसदीय सीट से जीतकर केंद्र में यूपीए शासनकाल में रेलमंत्री बने और रेलवे को काफी मुनाफा दिलवाया।
1998 में केन्द्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में सरकार बनी। दो साल बाद विधानसभा का चुनाव हुआ तो राजद अल्पमत में आ गई। सात दिनों के लियेनीतीश कुमार की सरकार बनी परन्तु वह चल नहीं पायी। एक बार फ़िर राबड़ी देवी मुख्यमन्त्री बनीं। कांग्रेस के 22 विधायक उनकी सरकार में मन्त्री बने। 2004 के लोकसभा चुनाव में लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) एक बार फिर “किंग मेकर” की भूमिका में आये और रेलमन्त्री बने। यादव के कार्यकाल में ही दशकों से घाटे में चल रही रेल सेवा फिर से फायदे में आई।

भारत के सभी प्रमुख प्रबन्धन संस्थानों के साथ-साथ दुनिया भर के बिजनेस स्कूलों में लालू यादव के कुशल प्रबन्धन से हुआ भारतीय रेलवे का कायाकल्प एक शोध का विषय बन गया। लेकिन अगले ही साल 2005 में बिहार विधानसभा चुनाव में राजद सरकार हार गई और 2009 के लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी के केवल चार सांसद ही जीत सके। इसका अंजाम यह हुआ कि लालू को केन्द्र सरकार में जगह नहीं मिली। समय-समय पर लालू को बचाने वाली कांग्रेस भी इस बार उन्हें नहीं बचा नहीं पायी। दागी जन प्रतिनिधियों को बचाने वाला अध्यादेश खटाई में पड़ गया और इस तरह लालू का राजनीतिक भविष्य अधर में लटक गया।
जनता की नब्ज पकड़ते हुए लालू ने 90 के दशक में मंडल कमीशन की लहर पर सवार होकर बिहार की सत्ता पर कब्जा कर लिया। बिहार में लालू यादव को जितना समर्थन मिला था शायद उतना समर्थन राजनीति में अभी तक किसी को नही मिला होगा ना मिलेगा। राजनीतिक समीक्षकों का कहना है कि लालू को उस वक्त अति पिछड़े और बाकी लोगों का काफी वोट मिला था। लेकिन सत्ता में रहते हुए लालू अपने मकसद से भटक गए। पहले से ही पिछड़ा बिहार अब और बर्बाद होने लगा। घोटाले, अपराध लालू की सरकार का दूसरा नाम बन गए।
1997 में लालू यादव पर चारा घोटाले का आरोप लगा। साल 2000 में आय से ज्यादा संपत्ति का आरोप लगा। इन आरोपों के बीच जब लालू ने जेल जाते वक्त सत्ता राबड़ी को सौंपी तो भी कई सवाल उठे। लेकिन लालू ने कभी उसकी परवाह नहीं की। राज्य में विकास पर ब्रेक लगा और तरक्की सिर्फ लूट, हत्या के मामलों में अपहरण उद्योग की हुई। नतीजा ये कि 2005 में बिहार की जनता ने लालू को सत्ता से बाहर कर दिया। हालांकि इस बीच 2004 से 2009 तक लालू ने रेल मंत्रालय की कमान संभाली। विदेश तक में नाम कमाया। लेकिन अब उनका करिश्मा फीका पड़ता जा रहा है।
बोलने की शैली :
लालू प्रसाद अपने बोलने की शैली के लिए मशहूर हैं। इसी शैली के कारण लालू प्रसाद भारत सहित विश्व में भी अपनी विशेष पहचान बनाए हुए हैं। अपनी बात कहने का लालू यादव का खास अन्दाज़ है। बिहार की सड़कों को हेमा मालिनी के गालों की तरह बनाने का वादा हो या रेलवे में कुल्हड़ की शुरुआत, लालू यादव हमेशा ही सुर्खियों में रहे। इन्टरनेट पर लालू यादव के लतीफों का दौर भी खूब चला। इनकी रुचि खेलों तथा सामाजिक कार्यों में भी रही है। 2001 में वे बिहार क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष भी रह चुके हैं।

चारा घोटाला :
1997 में जब केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने उनके खिलाफ चारा घोटाला मामले में आरोप-पत्र दाखिल किया तो यादव को मुख्यमन्त्री पद से हटना पड़ा। अपनी पत्नी राबड़ी देवी को सत्ता सौंपकर वे राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष बन गये और अपरोक्ष रूप से सत्ता की कमान अपने हाथ में रखी। चारा घोटाला मामले में लालू यादव को जेल भी जाना पड़ा और वे कई महीने तक जेल में रहे भी। लगभग सत्रह साल तक चले इस ऐतिहासिक मुकदमे में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट के न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह ने लालू प्रसाद यादव को वीडियो कान्फ्रेन्सिंग के जरिये 3 अक्टूबर 2013 को पाँच साल की कैद व पच्चीस लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई
यादव और जदयू नेता जगदीश शर्मा को घोटाला मामले में दोषी करार दिये जाने के बाद लोक सभा से अयोग्य ठहराया गया। इसके कारण राँची जेल में सजा भुगत रहे लालू प्रसाद यादव को लोक सभा की सदस्यता भी गँवानी पड़ी। भारतीय चुनाव आयोग के नये नियमों के अनुसार लालू प्रसाद अब 11 साल (5 साल जेल और रिहाई के बाद के 6 साल) तक लोक सभा चुनाव नहीं लड़ सकेंगे। भारतीय उच्चतम न्यायालय ने चारा घोटाला में दोषी सांसदों को संसद की सदस्यता से अयोग्य ठहराये जाने से बचाने वाले प्रावधान को भी निरस्त कर दिया था।
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